शेर-ओ-शायरी

बहादुरशाह जफर  (Bahadur Shah Zafar)

आप की खातिर से हम करते है जब्ते-इज्तिराब,
देखकर बेताब मुझको और घबराते हैं आप।

-बहादुरशाह जफर


1. जब्ते-इज्तिराब - बेचैनी या बेकरारी पर काबू 2. बेताब - व्याकुल, बेचैन


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उनको इन्साँ मत समझ, हो सरकशी जिनमें 'जफर'
खाकसारी के लिये है खाक से इन्साँ बना।

-बहादुर शाह 'जफर'

1. सरकशी - (i) उद्दंडता, उज्जड़पन, अशिष्टता (ii) अवज्ञा, हुक्मउदूली (iii) विद्रोह, बगावत 2. खाकसारी - विनम्रता 3. खाक - (i) फूल, रज, गुबार, गर्द (ii) मिट्टी (iii) भूमि, जमीन

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उम्रे-दराज मॉंगकर लाये थे चार दिन
दो आरजू में कट गये, दो इन्तिजार में
कितना है बदनसीब 'जफर' दफ्न के लिये
दो गज जमीं भी न मिली कू-ए-यार में।

-बहादुर शाह 'जफर'


1. उम्रे-दराज - लंबी, तवील 2. कू-ए-यार - प्रेमिका की गली