आज कैसी हवा चली ऐ 'फिराक',
आख बेइख्तियार भर आई।
-फिराक गोरखपुरी
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कहाँ वह खल्वतें दिन-रात की और अब यह
आलम है,
कि जब मिलते हैं दिल कहता है, कोई तीसरा होता।
-फिराक गोरखपुरी
1. खल्वतें
- एकान्त, जहाँ दूसरा न हो, तन्हाई 2.आलम
- हालत, दशा, स्थिति
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अपना गम किस तरह से बयान करूँ,
आग लग जायेगी इस जमाने में।
-फिराक गोरखपुरी
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इस दौर में जिन्दगी बशर की,
बीमार की रात हो गयी है।
-'फिराक' गोरखपुरी
1. बशर
- मनुष्य, मानव, आदमी