शेर-ओ-शायरी

मोहम्मद इकबाल (Mohammed Iqbal)

अगर खो गया इक नशेमन तो क्या गम
मुकामते आहो - फुगा और भी हैं
तू शाही है परवाज हैं काम तेरा
तेरे सामने आशियां और भी है।

-मोहम्मद इकबाल


1. नशेमन - याना, घोंसला, नीड 2. फुगा - आर्तनाद 3. शाही - बाज, पक्षी, श्येन 4. परवाज - उड़ान, उड़ना


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'इकबाल' कोई महरम अपना नहीं जहाँ में,
मालूम क्या किसी को, दर्दे - निहाँ हमारा।

-मोहम्मद 'इकबाल'


1. महरम - जानने वाला, राजदार, परिचित, जान-पहचान का, मित्र, दोस्त। 2. निहाँ - गुप्त, छिपा हुआ।


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अगर खो गया इक निशेमन तो क्या गम,
मुकामाते - आहो - फुगाँ और भी है।
कनाअत न कर आलमे - रंगो - बू पर,
चमन और भी आशियाँ और भी हैं।
तू शाही है परवाज है काम तेरा,
तेरे सामने आसमाँ और भी है।

-मोहम्मद इकबाल


1. निशेमन - आशियाना, घोंसला, नीड 2. मुकामाते - (i) स्थान, जगह (ii) पड़ाव, मंजिल (iii) प्रतिष्ठा, इज्जत 3. फुगाँ - आर्तनाद, फरियाद, नाला 4. कनाअत - पर्दा 5. बू - रंग और खुशबू की दुनिया (यानी दुनिया की रंगीनियाँ) 6. शाही - बाज पक्षी, श्येन 7. परवाज - उड़ान, उड़न


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अच्छा है दिल के पास रहे पासबाने -अक्ल,
लेकिन कभी-कभी इसे तन्हा भी छोड़ दें।

-मोहम्मद इकबाल


1. पासबाने - द्वारपाल, प्रहरी


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अमल से जिन्दगी बनती है, जन्नत भी, जहन्नुम भी,
यह खाकी अपनी फितरत से न नूरी है, न नारी है।

-मोहम्मद इकबाल


1. अमल - कार्य, कर्म 2. खाकी - मिट्टी का पुतला 3. नूरी - स्वर्ग के योग्य 4. नारी - नरक के योग्य