शेर-ओ-शायरी

शकील बंदायुनी (Shakeel Badauni)

आगे खुदा ही जाने अंजामे - इश्क क्या हो,
जब ऐ 'शकील' अपना यह हाल है अभी से।

-शकील बंदायुनी


******


इस कायनाते - गम में खुशियाँ कहाँ मयस्सर,
दीवाना ढूँढ़ते हैं सहरा में आबो - दाना।

-शकील बदायुनी


1. कायनात - संसार, दुनिया, ब्रहमाण्ड। 2. सहरा- वन, जंगल, मरूस्थल, रेगिस्तान। 3. आबो-दाना - दाना-पानी, अन्न-जल, रोजी, जीविका।


******


कितनी लतीफ, कितनी हसीं, कितनी मुख्तसर,
इक नौशिगुफ्ता फूल की नकहत है जिन्दगी।

-'शकील'बदायुनी


1. लतीफ - (i) कोमल, नर्म (ii) मृदुल, नाजुक (iii) शुद्ध, पवित्र, पाकसाफ 2. मुख्तसर - (i) कम, न्यून, थोड़ा (ii) संक्षिप्त, सार (iii) खुलासा 3. नौशिगुफ्ता - नव-मुकलित, नव-विकसित, नया-नया खिला हुआ


******

 
जाहिद की मैकशी पर तअज्जुब न कीजिए,
लाती है रंग फितरते-आदम कभी-कभी।

-'शकील' बदायुनी


1. जाहिद - संयम, नियम और जप-तप करने वाला व्यक्ति 2. मैकशी - मद्यपान 3. तअज्जुब - आश्चर्य