अच्छा
है डूब जाये सफीना हयात का,
उम्मीदो-आरजूओं का साहिल नहीं रहा।
-'असर' लखनवी
1.सफीना- नाव, नौका, किश्ती 2.
हयात-जिन्दगी
3. साहिल-
किनारा, तट।
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अरमां को दबाते
हैं तो मुसीबत में है जां और,
शोला को दबाते हैं तो उठता है धुंवा और।
-आनन्द नारायण मुल्ला
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आने लगा हयात
को अंजाम का खयाल,
जब आरजूएं फैलकर इक दाम बन गईं।
-बाकी सिद्दकी
1. हयात - जिंदगी 2.अंजाम -
परिणाम 3..दाम - पाश, फंदा, जाल
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आसान नहीं इस दुनिया में, ख्वाबों के सहारे जी लेना,
संगीन-हकीकत है दुनिया, यह कोई सुनहरी ख्वाब नहीं।
-'सागर' निजामी
1.संगीन-हकीकत - कड़वी सच्चाई वाली
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