अगर शोलाजन आशियाँ है तो क्या है,
बना लूँगा ऐसे, हजार आशियाँ मैं।
-निहाल सेहरारवी
1. शोलाजन - जलता हुआ, जिससे शोले निकल रहे
हों
2. आशियाँ - घोसला, नीड़
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अदू सैयाद-ओ -गुलचीं क्यों हुए मेरे नशेमन के,
ये तिनके भी है इस काबिल, जिन्हें बर्बाद करते हैं।
-साकिब लखनवी
1.अदू-दुश्मन, शत्रु
2.सैयाद-बहेलिया, चिड़ीमार , आखेटक
3.गुलचीं-फूल चुनने वाला, माली
4.नशेमन-आशियाना, नीड़ , घोंसला
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असीर करके हमें क्यों रिहा किया सैयाद,
वो हमसफीर भी छूटे, वो बाग भी न मिला।
-'जलाल' लखनवी
1. असीर - बंदी, कैदी, कारावासी
2. सैयाद - बहेलिया, चिड़ीमार
3.
हमसफीर - (i) बाग में साथ चहचहाने वाली
चिड़ियाँ(ii) मित्र, दोस्त
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