खलिश ने दिल को
मेरे कुछ मजा दिया ऐसा,
कि जमा करता हूँ मैं खार आशियां के लिये।
-त्रिलोकचन्द महरूम
1.खलिश - (i) चुभन, दर्द की टीस (ii)
चिन्ता, फिक्र, उलझन
2.खार - कांटा
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खुशी में अपनी
खुशबख्ती कहाँ मालूम होती है,
कफस में जाके कद्रे - आशियाँ मालूम होती है।
-आनन्दारायण मुल्ला
1.खुशबख्ती - खुशकिस्मती, खुशनसीबी
2. कफस - पिंजड़ा
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गुल भी हैं गुलिस्ताँ भी हैं मौजूद,
इक फकत आशियाँ नहीं मिलता।
-अर्श' मल्सियानी
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चमन को याद करके देर तक आंसू बहाता हूँ,
कोई तिनका जो मिल जाता है उजड़े आशियाने का।
-'शाद' अजीमाबादी
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