शेर-ओ-शायरी

बहार-ओ-खिज़ां  (Spring and Autumn)  Next >>

असीराने - कफस को वास्ता क्या इन झमेलों से,
चमन में कब खिजां आई, चमन में कब बहार आई।

-नूह नारवी


1.असीराने – कफस - पिंजड़े में बंद
(पंछी  या परिंदे)

2. खिजां - पतझड़ की ऋतु

 

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कांटा समझ के मुझसे न दामन बचाइए,
गुजरी हुई बहार की इक यादगार हूं।

-मुशीर झंझानवी

 

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खिजां के बाद गुलशन में बहार आई तो है लेकिन,
उड़ा जाता है क्यों अहले-चमन का रंग क्या कहिए।

-रविश सिद्दकी
 

1.खिजां - पतझड़ ऋतु 2.अहले-चमन- चमन वालों

 

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खिजां के लूट से बर्बादिए-चमन तो हुई,
यकीन आमदे-फस्ले-बहार कम न हुआ।

-'मजाज'

 

1. आमदे-फस्ले-बहार - वसन्त ऋतु का आगमन
 

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