खुलूसे-दिल से
हों सिज्दे तो उन सिज्दों का क्या कहना,
सरक आया वहीं काबा जहाँ हमने जबीं रख दी।
1.खुलूसे-दिल से - सच्चे दिल से
2. काबा - मक्के की एक इमारत
जिसे मुसलमान ईश्वर का घर समझते
हैं 3.
जबीं - माथा, ललाट, भाल
*****
जबीने-सिज्दा में
कौनेन की वुसअत समा जाए,
अगर आजाद हो कैदे-खुदी से बंदगी अपनी।
-'असर' लखनवी
1.जबीन - माथा, ललाट, भाल
2.कौनेन - दोनों संसार, यह संसार और
ऊपरी संसार (यानी परलोक)
3.वुसअत - लंबाई-चौड़ाई 4.खुदी
- अहंकार,
अहंभाव, यह भाव कि बस हमीं हम है,
अभिमान, घमंड, गर्व
5.बंदगी- इबादत, पूजा
*****
जहाँ सिज्दे को मन आया वहीं पर लिया सिज्दा,
न कोई संगे - दर अपना न कोई आस्तां अपना।
1.सिज्दा - ईश्वर के लिए सर झुकाना, नमाज में जमीन पर सर रखना
2.संगे–दर- चौखट 3.आस्तां -
दहलीज, ड्योढ़ी, चौखट
*****
जो नफस तेरी याद में गुजरे,
वह बंदगी में शुमार होता है।
-अब्दुल हमीद
अदम
1.नफस - सांस 2.शुमार -
गिनती
*****