गैरों को क्या
पड़ी है रूसवा मुझे करें,
इन साजिशों में हाथ किसी आशना का है।
1.रूसवा –
बदनाम 2.आशना -
परिचित, अपना
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जब-जब गैरों को इनायत देखी,
हमको अपनों के सितम
याद आये।
1.इनायत-मेहरबानी2.सितम-जुल्म,अत्याचार
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तकल्लुफ अलामत है बेगानगी की,
न डालो तकल्लुफ की आदत जियादा।
-ख्वाजा हाली
1.तकल्लुफ - (i) तकलीफ उठाना (ii)
दिखावा/जाहिरदारी (iii) शील-संकोच 2. अलामत -
लक्षण, पहचान, निशान 3.
बेगानगी - परायापन, अस्वजनता
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दिल में कभी कुछ ऐसी महसूस हो रही है,
नजदीक आके जैसे वह दूर हो गये हैं।
-अब्दुल हमीद अदम
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