देखने के हैं
सब, ये दुनिया के मेले,
मरी बज्म में हम रहे हैं अकेले।
*****
नहीं मिलते तो इक अदना शिकायत है न मिलने की,
मगर मिलकर, न मिलने की शिकायत और होती है।
-सीमाब अकबराबादी
*****
फलक के तारों से क्या दूर होगी जुल्मते-शब,
जब अपने घर के चरागों से रौशनी न मिली।
-आनन्द नारायण मुल्ला
1.फलक - आकाश, अंबर, आस्मान
2. जुल्मत - अंधियारा, अंधेरा,
अंधकार 3. शब -
रात
*****
बेगानावार ऐसे वो गुजरे करीब से,
जैसे कि उनको मुझसे कोई वास्ता न था।
-अजहर कादिरी
1.बेगानावार -
बेगानों की तरह
*****
भरी दुनिया में कोई भी नजर नहीं आता अपना,
'अदीब' इक दौर ऐसा
भी गुजर जाता है इंसा पर।
- अदीब मालीगाँवी
*****