सुना है फिर
वह आ रहे हैं, सुनने दास्तां मेरी,
इलाही आज तो रंगे-असर लाये, जुबाँ मेरी।
-'अलम' मुजफ्फरनगरी
1.इलाही - हे ईश्वर
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सौ बार तेरा
दामन हाथों में मेरे आया,
जब आंख खुली, देखा, आपना ही गिरेबाँ है।
-असगर गोण्डवी
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हजारों
ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पै दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमाँ लेकिन फिर भी कम निकले।
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये थे
लेकिन,बड़े
बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले।
-मिर्जा गालिब
1.खुल्द-स्वर्ग,जन्नत 2.बेआबरू-
अपमानित, तिरस्कृत 3.कूचा -
गली
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हर इक बात पै कहते
हो तुम कि तू क्या है,
तुम्हीं कहो कि यह अंदाजे-गुफ्तगू क्या है?
-मिर्जा 'गालिब'
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