कितने
नादिम हैं, वह खुद वादा-फरामोशी पर,
अब बुलाते भी नहीं शर्म के मारे मुझको।
1.नादिम -
शर्मिंदा, लज्जित 2.फरामोशी
- भूलना
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किस-किस तरह से किया अपना जी निसार,
लेकिन न गई दिल से तेरी बदगुमानियाँ।
-हसरत
मोहानी
1.बदगुमानियाँ -
कुधारणाएं
, गलतफहमियां
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कुछ तो मिल जाये
लबे-शीरीं से,
जहर खाने की इजाजत ही सही।
-अनवर
मिर्जापुरी
1.लबे-शीरीं
- मीठे लब
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कोई कह दे
कि क्या इलाज करूँ,
दर्द-ए-दिल में कमी नहीं होती।
-साजन
पेशावरी
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