यूँ तो मेरी रगे-जाँ
से भी थे नजदीकतर,
आसुंओं के धुंध में लेकिन न पहचाने गये।
-खातिर गजनवी
1.रगे-जाँ - सबसे बड़ी खून की नस जो
दिल में जाती है
2.नजदीकतर - बहुत पास
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ये न थी हमारी किस्मत कि विसाले-यार होता,
अगर और जीते रहते, यही इन्तिजार होता।
तेरे वादे पै जिये हम तो यह जान झूठ होता,
कि खुशी से मन न जाते अगर एतबार होता।
कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीरे-नीमकश को,
ये खलिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता।
ये कहाँ कि दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह,
कोई चारासाज होता कोई गमगुसार होता।
ये मसाइले-तसव्वुफ, ये तेरा बयान 'गालिब',
तुझे हम वली समझते जो न बादाख्वार होता।
-मिर्जा गालिब
1. विसाल - मिलन, मेल, संयोग 2.
तीरे-नीमकश - आधा अन्दर, आधा बाहर (विशेषतः
बाण) कम खींचकर चलाये हुए धनुष का तीर जो शरीर में से पार न हो सके।
3. खलिश - (i) चुभन, दर्द की
टीस (ii) चिन्ता, फिक्र, उलझन 4. नासेह -
नसीहत करने वाला, उपदेश देने वाला 5. चारासाज -
इलाज करने वाला 6.गमगुसार -
सहानुभूति करने वाला, हमदर्द, दर्द बांटने वाला, गमख्वार
7.मसाइले-तसव्वुफ - दार्शनिक मामले या
मसअले 8. वली - पीर, महात्मा
9. बादाख्वार - शराबी
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वफ़ा
पर मिटने वाले जान की परवा नहीं करते,
वह इस बाजार में सूदो-ज़ियाँ
देखा नहीं करते।
-अर्श मल्सियानी
1.सूदो-ज़ियाँ - लाभ-हानि
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सिर्फ इसलिये कि दिलशिकनी न
हो दोस्त की,
एहसान कर लिया है गवारा कभी - कभी।
-असर लखनवी
1.दिलशिकनी - दिल तोड़ना,
रंज पहुंचाना
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हमारी शर्ते-वफा यही है, वफा
करोगे, वफा करेंगे,
हमरा मिलना तो ऐसा मिलना, मिला करोगे, मिला करेंगे।
तुम्हारा कहना कि खत लिखेंगे, यह भी है तुम पर मुनहसिर,
हसीन लफ्जों का सिलसिला है, लिखा करोगे, लिखा करेंगे।
तुम्हारे महबूब हजारों होंगे, हमारे शैदा भी लाखों लेकिन,
न तुमको शिकवा, न हमको शिकवा, गिला करोगे,गिला करेंगे।
1.शर्ते-वफा -
वफा
निभाने
की शर्त
2.शैदा - आशिक, मुग्ध,
मोहित, चाहने वाला
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