खन्दा-ए-अहले-जहाँ
की मुझे परवा क्या थी,
तुम भी हंसते हो मेरे हाल पर, रोना है यही।
-'हसरत' मोहानी
1.खन्दा-ए-अहले-जहाँ - जमाने वालों का उपहास
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गमे-दुनिया ने
हमें जब कभी नाशाद किया,
ऐ गमे-दोस्त तुझे हमने बहुत याद किया।
-खुमार बाराबंकवी
1.नाशाद - अप्रसन्न, दुखी, नाखुश
2. गमे-दोस्त - गम का साथी
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चश्मे-पुरनम खरीद
सकता हूँ, जुल्फे-बरहम खरीद सकता हूँ,
मेरी खुशियाँ तमाम बिक जायें, आप के गम खरीद सकता हूँ।
1.चश्मे-पुरनम -
जिन आंखों से आंसू बह रहें
हों, डबडबाई हुई आंखें 2.जुल्फे-बरहम -
बिखरी हुई जुल्फें
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चार दिन
की बात है क्या दोस्ती क्या दुश्मनी,
काट दो इनको खुशी से यार हँसते-हँसते।
-गुमनाम भरतपुरी
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