तेरी हमदर्द नजरों से
मिला ऐसा सुकूं मुझको कि,
मैं ऐसा सुकूं मरकर भी शायद पा नहीं सकता।
-जाँनिसार अख्तर
1.हमदर्द - दुख-दर्द बांटने वाली या
वाला
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दुश्मन भी हो
तो दोस्ती से पेश आये हम,
बेगानगी से अपना नहीं आश्ना मिजाज।
-आतिश
1.बेगानगी - (i) परायापन (ii)अनजानापन 2.आश्ना
- परिचित, वाकिफ
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दुश्मनी जम कर करो मगर इतना याद रहे,
जब भी फिर दोस्त बन जाये, शर्मिन्दा न हो।
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नये जमाने में अगर खुद को उदास पाऊंगा,
यह शाम याद करके अपने गम को भूल जाऊंगा।
-फिराक गोरखपुरी
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