यह माना किसी काबिल नहीं हूँ इन निगाहों
में,
बुरा क्या है अगर इस दिल की वीरानी मुझे दे दो।
-साहिर
लुधियानवी
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यारब! तेरी रहमत से मायूस नहीं फानी,
लेकिन तेरी रहमत की ताखीर का क्या कहिए।
-फानी बदायुनी
1.रहमत - दया, कृपा 2.ताखीर -
देर, विलंब
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यह चन्द लमहे जो गुजरे तेरी रफाकत में,
न
जाने वह कितने वर्ष काम आयेंगे।
1.रफाकत - दोस्ती, मैत्री, मोहब्बत
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यह
तमन्ना है किसी दर पै न जाऊँ यारब,
मुझको जो कुछ भी मिले तेरे खजाने से मिले।
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