आसान नहीं इस
दुनिया में, ख्वाबों के सहारे जी लेना,
संगीन-हकीकत है दुनिया, यह कोई सुनहरी ख्वाब नहीं।
-'सागर' निजामी
1.संगीन-हकीकत - कड़वी सच्चाई वाली
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अरबाबे-सितम की
खिदमत में इतनी ही गुजारिश है मेरी,
दुनिया से कयामत दूर सही दुनिया की कयामत दूर नहीं।
-जिगर मुरादाबादी
1.अरबाबे-सितम - सितम (जुल्म) ढाने वाला
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दुनिया अजब सरा-ए–फानी देखी,
हर चीज यहाँ
की आनी-जानी देखी
जो जाके न आये वह जवानी देखी,
जो आके न जाये
वह बुढ़ापा देखी।
1.सरा-ए–फानी -
वह स्थान या मकान जहाँ इंसान थोड़े दिन
रहे ,पथिकाश्रम,मुसाफिरखाना,
नश्वर दुनिया यानी मृत्युलोक
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दुनिया में हूँ, दुनिया का तलबगार नहीं हूँ,
बाजार से गुजरा हूँ खरीददार नहीं हूँ।
जिन्दा हूँ, मगर जीस्त की लज्जत नहीं बाकी,
हरचन्द होश में हूँ होशियार नहीं हूँ।
-अकबर इलाहाबादी
1.तलबगार - ख्वाहिशमंद, मुश्ताक,
इच्छुक, अभिलाषी 2.जीस्त -जिंदगी
3. होशियार - सचेत, हवास में
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