शेर-ओ-शायरी

दुनिया-ए-फानी   Next >>

आसान नहीं इस दुनिया में, ख्वाबों के सहारे जी लेना,
संगीन-हकीकत है दुनिया, यह कोई सुनहरी ख्वाब नहीं।

-'सागर' निजामी


1.संगीन-हकीकत - कड़वी सच्चाई वाली

 

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अरबाबे-सितम की खिदमत में इतनी ही गुजारिश है मेरी,
दुनिया से कयामत दूर सही दुनिया की कयामत दूर नहीं।

-जिगर मुरादाबादी

 

1.अरबाबे-सितम - सितम (जुल्म) ढाने वाला

 

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दुनिया अजब  रा-ए–फानी  देखी,

हर चीज यहाँ की आनी-जानी देखी
जो जाके न आये वह जवानी देखी,

जो आके न जाये वह बुढ़ापा देखी।

1.सरा-ए–फानी - वह स्थान या मकान जहाँ इंसान थोड़े दिन रहे ,पथिकाश्रम,मुसाफिरखाना, नश्वर दुनिया यानी  मृत्युलोक

 

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दुनिया में हूँ, दुनिया का तलबगार नहीं हूँ,
बाजार से गुजरा हूँ खरीददार नहीं हूँ।
जिन्दा हूँ, मगर जीस्त की लज्जत नहीं बाकी,
हरचन्द होश में हूँ होशियार नहीं हूँ।

-अकबर इलाहाबादी


1.तलबगार - ख्वाहिशमंद, मुश्ताक, इच्छुक, अभिलाषी 2.जीस्त -जिंदगी 3. होशियार - सचेत, हवास में
 

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