अपनों से भी
इतना तकल्लुफ,
कितने दुनियादार बने हो।
-अब्दुल हमीद अदम
1.तकल्लुफ-(i) दिखावा, जाहिरदारी (ii)
शील-संकोच, लिहाज (iii) बेगानगी, परायापन (iv) तकलीफ उठाना 2
दुनियादार-संसार के मोह में लिप्त,
अवसरवादी
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खुदाबंदा मेरी
गुमराहियों पर दरगुजर फरमां,
मैं उस माहौल में रहता हूँ जिसका नाम दुनिया है।
-अकबर हैदरी
1. खुदाबंदा- हे ईश्वर, हे खुदा
2. दरगुजर -
नजरअंदाज, दोष देखकर उसे अनदेखा कर देना, चश्मपोशी
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छीन
ली फिक्रे-निशेमन ने मेरी आजादियाँ,
जज्बा-ए-परवाज महदूदे-गुलिस्ताँ हो गया।
-सीमाब अकबराबादी
1. निशेमन -
घोंसला, नीड़ 2.
जज्बा-ए-परवाज - उड़ान की ख्वाहिश
3. .महदूद - सीमित
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जबानों
पर दिलों की बात जब ला ही नहीं सकते
जफा को फिर वफा की दास्ताँ कहना ही पड़ता है,
न पूछो क्या गुजरती है दिले-खुद्दार पर अक्सर
किसी बेमेहर को जब मेहरबाँ कहना ही पड़ता है।
-जगन्नाथ 'आजाद'
1.जफा - जुल्म, सितम, अत्याचार
2. बेमेहर - निष्ठुर, बेरहम,
निर्दयी, जिसमें ममता न हो
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