शेर-ओ-शायरी

<< Previous ग़ैर-इन्सानियत (Loss of human values) Next>>

नशेमन ही के लुट जाने का गम होता तो क्या गम था,
यहां तो लूटने वालों ने गुलशन बेच डाला है।


1. नशेमन - घोंसला, नीड़

 

*****

 

परीशाँ होने वालों को सुकूं कुछ भी मिल भी सकता है,
परीशां करने वालों की परीशानी कभी नहीं जाती।

 

*****

बहाना मिल न जाए बिजलियाँ को टूट पड़ने का,
कलेजा कांपता है आशियाँ को आशियाँ कहते ।

-असर लखनवी

 

*****
 

बहार आते ही खुद अहले-चमन ने जिस तरह लूटा,
खिजाँ ने की न होगी उस तरह गुलशन की पामाली।


1. अहले-चमन - चमन वालों ने 2. पामाली - बर्बादी
 

*****

 

<< Previous  page -1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12  Nextr>>