शेर-ओ-शायरी

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बिजली की ताकझाँक से तंग आ गई है जान,
ऐसा न हो कि फूँक दूँ खुद आशियाँ को मैं।

-'जलील' मानिकपुरी
 

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बहुत जी चाहता है ये फकत नुक्से-बसीरत हो,
बड़ी सुरअत से दुनिया खो रही है दिलकशीअपनी।


1.नुक्से-बसीरत - देखने की गलती, दृष्टिदोष 2. सुरअत
-शीघ्रता, तेजी, जल्दी 3.दिलकशी- मनोहरता, सुन्दरता, खुशनुमाई

 

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ये चलती फिरती सूरतें जो देखते हैं आप,
कितने हैं इनमें वाकई इन्साँ न पूछिये।

 

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