बिजली की ताकझाँक से
तंग आ गई है जान,
ऐसा न हो कि फूँक दूँ खुद आशियाँ को मैं।
-'जलील' मानिकपुरी
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बहुत जी चाहता है ये फकत नुक्से-बसीरत
हो,
बड़ी सुरअत से दुनिया खो रही है दिलकशीअपनी।
1.नुक्से-बसीरत - देखने की गलती,
दृष्टिदोष 2. सुरअत
-शीघ्रता, तेजी, जल्दी
3.दिलकशी- मनोहरता, सुन्दरता, खुशनुमाई
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ये चलती फिरती सूरतें जो देखते हैं आप,
कितने हैं इनमें वाकई इन्साँ न पूछिये।
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