एक शख्स मिला था कड़ी धूप में मुझे,
पानी की आरजू में लहू बेचता हुआ।
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ऐ आसमान तेरे
खुदा का नहीं खौफ,
डरते हैं ऐ जमीं तेरे आदमी से हम ।
-जोश मलीहाबावी
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कत्ले-इन्साँ हो
रहा है चन्द सिक्कों के लिए,
इस कदर दौलत का भूखा आदमी पहले न था।
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कभी
मौजे-दरिया ने मुड़कर न देखा,
सफीना लगा कौन थक कर किनारे।
-आनन्द नारायण मुल्ला
1.सफीना - कश्ती, नौका
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