शेर-ओ-शायरी

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 एक शख्स मिला था कड़ी धूप में मुझे,
पानी की आरजू में लहू बेचता हुआ।

 

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ऐ आसमान तेरे खुदा का नहीं खौफ,
डरते हैं ऐ जमीं तेरे आदमी से हम ।

-जोश मलीहाबावी

 

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 कत्ले-इन्साँ हो रहा है चन्द सिक्कों के लिए,
इस कदर दौलत का भूखा आदमी पहले न था।

 

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कभी मौजे-दरिया ने मुड़कर न देखा,
सफीना लगा कौन थक कर किनारे।

-आनन्द नारायण मुल्ला


1.सफीना - कश्ती, नौका

 

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