कहने
को यूँ जहाँ में हजारों हैं यार-दोस्त,
मुश्किल के वक्त एक है, परवरदिगार दोस्त।
-असीर
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कौन - सी चोट
कौन कर बैठे,
अब तो मैं हर किसी से डरता हूँ।
-मुनव्वर लखनवी
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क्यूं न दमके
जरपरस्तों के महल,
खून है इनमें मजदूर का मिला हुआ।
-'साजन' पेशावरी
1.जरपरस्तों - धनवानों
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खुलूसे-रहजन ने मुझे इतना गिरवीदा
बनाया है,
कि अब
फरेबे-रहनुमा खाने की गुंजाइश बहुत कम है।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
1.खुलूसे-रहजन- लूटेरे या गैरों का
निष्कपट प्यार 2. गिरवीदा -
आसक्त, मुग्ध, मोहित, लट्टू 3. फरेबे-रहनुमा-
राह दिखाने वाले द्वारा या अपनों द्वारा
दिया जाने वाला धोखा
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