यह अज्म है जो ले आता है
कदमों तक खींच
के मंजिल को,
इस राज को रहबर क्या समझे,
इस भेद को मंजिल क्या जाने।
-जगन्नाथ 'आजाद'
1. अज्म
- दृढ़ संकल्प या इरादा
2. रहबर
- पथप्रदर्शक, रास्ता दिखाने वाला
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यह बज्मे-मय है यां कोताहदस्ती में है महरूमी,
जो बढ़कर खुद उठा ले हाथ में, मीना उसी की है।
-'शाद' अजीमाबादी
1. बज्मे-मय
- शराब की महफिल
2. कोताहदस्ती
- हाथ रोकना
3. महरूमी - नुकसान, वंचित रहना 4. मीना - शराब का जग
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यह मुमकिन है कि लिक्खी हो कलम ने फतह
आखिर में,
जो हैं अहबाबे-हिम्मत, गम नहीं करते शिकस्तों में।
-'शाद' अजीमाबादी
1. फतह - जीत, विजय 2.
अहबाबे-हिम्मत - हिम्मत वाले
3. शिकस्त -
हार
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यहाँ
तो उम्र गुजरी है मौजे-तलातुम में,
वो कोई और होंगे सैरे- साहिल देखने वाले।
-असगर गौण्डवी
1. मौजे-तलातुम – तूफानी लहरों के बीच
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