हर शै हसीन
होती है हुस्ने-निगाह से,
कुछ भी न हो हसीन अगर हुस्ने-नजर न हो।
*****
निगाहे-कहर को गुलशन नजर आता है वीराना,
निगाहे-मेहर वीराने में गुलशन ढूँढ़ लेती है।
1.निगाहे-कहर -
कोपदृष्टि 2.निगाहे-मेहर -
कृपादृष्टि
*****