खुदा जाने करेगा चाक किस-किस के गिरेबां
को,
अदा से उनका चलने में, वह दामन को उठा लेना।
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खुला यह राज जब आये वो बाल बिखराये,
कि रौशनी से जियादा हसीन हैं साये।
-अरशद काकवी
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खुश्बू वही, वही है
नजाकत, वही है रंग,
माशूक क्या है फूल है तू भी गुलाब का।
-मिर्जा दाग
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खूब पर्दा है कि
चिलमन से लगे बैठे हैं,
साफ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।
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