निगाहे-लुत्फ से
इकबार मुझको हैं देख लेते हैं,
मुझे बेचैन करना जब उन्हें मंजूर होता है।
1.निगाहे-लुत्फ -
कृपादष्टि, मेहरबानी
की निगाह
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परदा उठा, नजर उठी,
वह मुस्कुरा दिए,
मरने का इससे और भी अच्छा समां है क्या?
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पहलू-ए-गुल में
खार भी हैं कुछ छुपे हुए,
हुस्ने-बहार देख तो दामन बचा के देख।
-'दिल' शाहजहाँपुरी
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पास जायें तो होश खो बैठें,
दूर रहिए तो जाँ पै बनती है।
-'साहिल' मानिकपुरी
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