रह गये लाखों कलेजा थामकर,
आंख जिस जानिब तुम्हारी उठ गई।
-मिर्जा दाग
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रात हम पिये हुए थे मगर, आप की आंखे भी
शराबी थी,
फिर हमारे खराब होने में, आप ही कहिए क्या खराबी थी।
-नरेश
कुमार 'शाद'
1.शराबी
- नशीली, नशा पैदा करने वाली
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रात को दरिया में
मौजें किस तरह से चैन लें,
इक किनारे चाँद है और इक किनारे आप है।
1. मौजें - (i) लहरें, तरंग (ii) उत्साह,
उमंग, वलवला
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रूखसार उनके हायरे जब देखते हैं हम,
आता है दिल में आंखों को इनमें गिड़ोइए।
-मीरतकी 'मीर'
1.रूखसार
- कपोल, गाल
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