वह अगर मिल जायें तो क्या हश्र हो,
दिल लरज जाता है जिसके नाम से।
-'शेरी' भोपाली
1.हश्र – (i) कयामत, महा-प्रलय (ii)
विपदा, मुसीबत (iii) हाल
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वह अपने दर के फकीरों से पूछते भी नही,
कि लगाये हुए किसकी आस बैठे हो।
-तअश्शुक
1. दर - दरवाजा, द्वार
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वह आये बज्म में
इतना तो 'मीर' ने देखा,
उसके बाद चरागों में रौशनी न रही।
-मीरतकी 'मीर'
1.बज्म - महफिल
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वह कुछ मुस्कुराना,
वह कुछ झेंप जाना,
जवानी अदाएं सिखाती है क्या-क्या।
-'बेखुद' देहलवी
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