वहाँ जवाब के लिये जहमत उठा रही है खिरद,
जहाँ सवाल खुद अपना जवाब होता है।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
1.जहमत - दुख, तकलीफ, कष्ट
2.खिरद - बुद्धि, मनीषा, अक्ल
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वही रंगे - तगाफुल है, वही नाजे - तगाफुल है,
न जज्बे-शौक काम आया, न तर्के-शौक का आया।
-'रविश' सिद्दकी
1.रंगे–तगाफुल - उपेक्षा या बेतवज्जुही
के अन्दाज 2. नाजे–तगाफुल -
उपेक्षा या बेतवज्जुही की शैली या ढंग 3.जज्ब -
आकर्षण, कशिश 4.शौक - चाहत,
अभिलाषा, उत्कंठा 5.तर्के-शौक -
चाहत या अभिलाषा का त्याग
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वही रात मेरी, वही रात उनकी
कहीं बढ़ गई
है कहीं घट गई है,
लूटने वाले हमारी नींद को,
किस मजे से
रात भर सोया किये।
-'साकिब' लखनवी
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वाँ वह गरूरे-इज्जो-नाज, यां यह हिजाबे-पासे-वज्अ,
राह में हम मिले कहाँ, बज्म में वह बुलाये क्यों?
-मिर्जा गालिब
1.इज्ज - नम्रता, विनीति
2.नाज - (i) मान, अभिमान (ii) नाजोअदा
2.हिजाब - आड़, ओट, पर्दा
3. पास - लिहाज, संकोच, शील 4.वज्अ - शैली, ढंग 6. बज्म - महफिल
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