शेर-ओ-शायरी

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हर शै हसीन होती है हुस्ने – निगाह से,
कुछ भी न हो हसीन, अगर हुस्ने-नजर न हो।


1.शै - चीज, वस्तु, पदार्थ
 

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हर सम्त से बहारें सिमटकर उमड़ पड़ीं,
दामन झटक के तुम जो गुलिस्ताँ में आ गये।
-'बिस्मिल' आगही
 

1.सम्त - दिशा, तरफ, ओर

 

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हर इक बात पै कहते हो तुम कि तू क्या है,
तुम्हीं कहो कि यह अंदाजे-गुफ्तगू क्या है?

-मिर्जा 'गालिब'
 

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हर कदम पै बागे-आलम में छुपा है दामे-हुस्न,
कौन ऐसा है जिसे जौके-गिरिफ्तारी नहीं।

-'नजर' लखनवी


1.बागे-आलम - जगत रूपी गुलशन 2.दामे - जाल, फंदा, पाश

3.जौके - (i) रूचि, शौक (ii) स्वाद, मजा

 

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