हर शै हसीन होती
है हुस्ने – निगाह से,
कुछ भी न हो हसीन, अगर हुस्ने-नजर न हो।
1.शै - चीज, वस्तु, पदार्थ
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हर सम्त से बहारें सिमटकर उमड़ पड़ीं,
दामन झटक के तुम जो गुलिस्ताँ में आ गये।
-'बिस्मिल' आगही
1.सम्त - दिशा, तरफ, ओर
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हर इक बात पै कहते हो तुम कि तू क्या
है,
तुम्हीं कहो कि यह अंदाजे-गुफ्तगू क्या है?
-मिर्जा 'गालिब'
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हर कदम पै बागे-आलम में
छुपा है दामे-हुस्न,
कौन ऐसा है जिसे जौके-गिरिफ्तारी नहीं।
-'नजर' लखनवी
1.बागे-आलम - जगत रूपी गुलशन
2.दामे - जाल, फंदा, पाश
3.जौके - (i) रूचि, शौक (ii) स्वाद, मजा
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