शेर-ओ-शायरी

  इन्सानियत (Goodness of human nature)  Next >>

कितने कांटों की बद्दुआ ली है
चन्द कलियों की जिन्दगी के लिए।

-शहीद फातिमी

 

*****

किसी चमन में बस इस खौफ से न गुजर हुआ,
किसी कली पै न भूले से पांव रख दूं।

-नदीम कासिमी
 

*****

कीजिए और कोई जुल्म अगर जिद है यही,
लीजिए और मेरे लब पै दुआएं
आईं

-जिगर मुरादाबादी

 

*****

 
कुछ और तो नहीं मेरे गरीब दामन में,
अगर कबूल हो तो जिन्दगी दे दूँ।

 

*****

 

page -1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-19-20-21-22-23-24        Next >>