शेर-ओ-शायरी

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अपने मरने का गम नहीं लेकिन,
हाय तुमसे जुदाई होती है।

-मिर्जा गालिब

 

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अब तुमसे रूखसत होता हूँ, लो संभालो यह साज,
नये तराने छोड़ो कि मेरे नग्मों को नींद आती है।

-फिराक गोरखपुरी

 

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अब तो चलते हैं बुतकदे से ऐ 'मीर',
फिर मिलेंगे गर खुदा लाया।

-मीरतकी मीर


1.बुतकदे- मंदिर, मूर्तिगृह, बुतखाना

 

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अब बुझा दो ये सिसकते हुए यादों के चराग,
इनसे कब हिज्र की रातों में उजाला होगा।

-खलीलुर्रहमान आजमी


1.हिज्र - वियोग, जुदाई

 

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