शेर-ओ-शायरी

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हर मुकाम के आगे मुकाम है मेरा,
हयात जौके-सफर के सिवाय कुछ भी नहीं।

-मोहम्मद इकबाल


1.हयात - जिन्दगी, जिन्दगानी

2. जौके-सफर - सफर (यानी चलते रहन) का शौक

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हर मील के पत्थर पर लिख दो यह इबारत,
मंजिल नहीं मिलती, नाकाम इरादों से

 

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हरचन्द आसमान लहू से था तरबतर,
जख्मी परिन्द बाज न आया उड़ान से।


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हुजूमे - तबाही से मैं खेलता हूँ,
तबाही का हरसू निशां है तो क्या है?
बना लूँगा ऐसे हजार आशियाँ मैं,
अगर शोलाजन आशियाँ है तो क्या गम।

-निहाल सेहरारवी


1.हुजूमे – तबाही - तबाहियों का हुजूम 2. हरसू - चारों ओर

3. शोलाजन - जलता हुआ, आग की लपटों पर

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