उठा सके आदमी तो
पहले नजर से अपनी नकाब उठाये,
जमाने भर की तजल्लियों से नकाब उल्टी हुई मिलेगी।
-नवाब झांसवी
1. तज़ल्ली- प्रकाश, आभा, नूर, रोशनी
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एक हमें आवारा
कहना, कोई बड़ा इल्जाम नहीं,
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं।
-हबीब जालिब
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करके एहसान
जताता फिरे जो दुनिया को,
ऐसा कमजर्फ के एहसान से डर लगता है।
-अरशद इटावी
1.कमजर्फ - अनुदार, तंग-नजर, कमीना,
ओछा, तुच्छ
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कह रहा था
शारे-दरिया से समन्दर का सकूत,
जिसमें जितना जर्फ है, उतना ही वह खामोश है।
-नातिक लखनवी
1.सकूत - खामोशी, शांति
2.जर्फ - (i) गंभीरता, सहनशीलता
(ii) योग्यता, सलाहियत
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