शेर-ओ-शायरी

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क्या जरूरत क्यों जफाएँ बागबाँ तेरी सहें,
जां तुझे गुलशन मुबारक, हमको वीराने बहुत।
-'राही' शिहाबी


1. जफा - जुल्म, अत्याचार, जोरजबरदस्ती 2. बागबाँ - माली, उद्यानपाल

 

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क्यों न फिरदौस को दोजख में मिला ले यारब,
सैर के वास्ते थोड़ी - सी फिजा और सही।
-मिर्जा गालिब


1. फिरदौस - स्वर्ग, जन्नत 2. दोजख - नरक, जहन्नुम
3. फिजा - (i) खुली हुई जगह, मैदान, वातावरण माहौल
(ii) रौनक, बहार, शोभा (iii) खुली हुई हरियालीदार जगह

 

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खलिश ने दिल को मेरे कुछ मजा दिया ऐसा,
कि जमा करता हूँ मैं खार आशियां के लिये।

-त्रिलोकचन्द महरूम


1.खलिश - (i) चुभन, दर्द की टीस (ii) चिन्ता, फिक्र, उलझन

2.खार - कांटा
 

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खिजाँ आयेगी तो आयेगी ढलकर बहारों में,
कुछ इस अन्दाज से नज्मे-गुलिस्ताँ कर रहा हूँ।

- शफक टौंकी


1.नज्म - प्रबन्ध, व्यवस्था

 

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