क्या जरूरत क्यों जफाएँ बागबाँ तेरी सहें,
जां तुझे गुलशन मुबारक, हमको वीराने बहुत।
-'राही' शिहाबी
1. जफा - जुल्म, अत्याचार, जोरजबरदस्ती
2. बागबाँ - माली, उद्यानपाल
*****
क्यों न फिरदौस को दोजख में मिला ले यारब,
सैर के वास्ते थोड़ी - सी फिजा और सही।
-मिर्जा गालिब
1. फिरदौस - स्वर्ग, जन्नत 2.
दोजख - नरक, जहन्नुम
3. फिजा - (i) खुली हुई जगह, मैदान,
वातावरण माहौल
(ii) रौनक, बहार, शोभा (iii) खुली हुई हरियालीदार जगह
*****
खलिश ने दिल
को मेरे कुछ मजा दिया ऐसा,
कि जमा करता हूँ मैं खार आशियां के लिये।
-त्रिलोकचन्द महरूम
1.खलिश - (i) चुभन, दर्द की टीस (ii)
चिन्ता, फिक्र, उलझन
2.खार -
कांटा
*****
खिजाँ आयेगी तो
आयेगी ढलकर बहारों में,
कुछ इस अन्दाज से नज्मे-गुलिस्ताँ कर रहा हूँ।
- शफक टौंकी
1.नज्म - प्रबन्ध, व्यवस्था
*****
<<
Previous
page
-1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-19-20
Next >>