अगर पी लें तो उड़ती है सितारों से भी कुछ आगे,
वगरना जिन्दगी जेरे-जमीं मालूम होती है।
1.जेरे-जमीं -
जमीन के नीचे
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अपने हाथ से दिया यार ने मीना मुझको,
रूखसत-ए-तौबा कि लाजिम हुआ पीना मुझको।
-'बेदिल' अजीमाबादी
1. मीना - सुराही 2. रूखसत-ए-तौबा -
शराब से परहेज की छुट्टी
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अलग बैठे थे, फिर भी आंख साकी की पड़ी हम पर,
अगर है तिश्नगी कामिल तो पैमाने भी आयेंगे।
-'मलरूह' सुल्तानपुरी
1.साकी - शराब पिलाने वाला या पिलाने वाली 2. तिश्नगी - प्यास, पिपासा3.कामिल
- पूर्ण, मुकम्मल
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आता है जज्बे-दिल को वह अन्दाजे-मैकशी,
रिन्दों में रिन्द भी रहें, दामन भी तर न हो।
-'जोश' मल्सियानी
1.अन्दाजे-मैकशी - पीने का अन्दाज
2.रिन्द - शराबी, मैकश
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