सौ बार लग्जिशों की कसम
खा के छोड़ दी,
सौ बार छोड़ने की कसम खा के पी गया।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
1.लग्जिश- डगमगाना (शराब पीने के कारण)
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हंगामा है क्यों बरपा थोड़ी-सी जो पीली है,
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है।
नातजरूबाकारी से वाइज की ये बातें हैं,
इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है।
-'अकबर' इलाहाबादी
1.वाइज - धर्मोपदेशक, सदुपदेशक
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हम
नहीं ऐ हमनशीं,मिन्नतकशे-फस्ले-बहार,
हमको पीने से है मतलब, कोई भी मौसम हो।
-'शकील' बदायुनी
1.हमनशीं - मित्र, दोस्त
2.मिन्नतकशे-फस्ले-बहार - बहार की
मिन्नतकशी (मिन्नत करना)
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हमने कल ही यह
कसम खाई थी,
अब न सहबा को मुंह लगायेंगे।
काश ! पहले यह खबर होती,
आज वह खुद हमें पिलायेंगे।
-नरेश कुमार 'शाद'
1.सहबा - शराब
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