मजहब क्या है, राहें मुख्तलिफ हैं एक मंजिल की,
मंजिल क्या है, जहाँ सब कुछ है मगर राहें नहीं है।
-अफसर मेरठी
1.मुख्तलिफ
- पृथक-पृथक, अलग-अलग
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हम क्या कहें किसी से क्या है तरीक अपना,
मजहब नहीं है कोई, मिल्लत नहीं है कोई।
-मिर्जा गालिब
1.तरीक
- मार्ग, रास्ता
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