गये हैं जब से वह अपने भी आये, गैर भी
आये,
सब आये भी, गये भी, घर की वीरानी नहीं जाती।
-नातिक गुलगठवी
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गर किया नासेह ने हमको कैद, अच्छा यूँ सही,
पर जुनूने - इश्क के अंदाज छूट जायेंगे क्या?
-मिर्जा गालिब
1.नासेह
- नसीहत करने वाला, सदुपदेशक
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गरज कि काट दिए जिन्दगी के दिन ऐ दोस्त,
वह तेरी याद में हो या तुम्हें भुलाने में।
-फिराक गोरखपुर
1.गरज कि –सारांश
यह है कि,किस्सा-ए-मुख्तसर
यह है कि
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'गालिब' तेरा अहवाल सुना देंगे हम उनको,
वह सुन के बुलाले, यह इजारा नहीं करता।
-मिर्जा गालिब
1.अहवाल - समाचार, हाल
2.इजारा - ठेका (यानी प्रतिज्ञा या
वादा)
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