बढ़ के रोक दूँ रफ्तारे-सहर आज की
रात,
रोज आते हैं कहाँ आपके जैसे, मेहमां।
-बशीर फारूखी
1.रफ्तारे-सहर
- सुबह हाने की रफ्तार
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बढ़ी है कल्ब की धड़कन तुम्हारे वादों से,
उम्मीदवार को पहले यह इज्तिराब न था।
-नैयर अकबराबादी
1.कल्ब - दिल, हृदय
2.इज्तिराब - बेचैनी, बेकरारी
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बताएं क्या कि हमारी निगाह में क्या तुम हो,
खुदा का डर है वगरना कह दूँ खुदा तुम हो।
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बन जाये कहर इशरते-पैहम कभी-कभी,
दिल को सकूँ न दे जो तेरा गम कभी-कभी।
-शकील बदायुनी
1.कहर - कोप, गुस्सा
2.इशरते-पैहम - न खत्म होने वाली
खुशी
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