अनगिनत लोगों ने
दुनिया में मुहब्बत की है,
कौन कहता है कि सादिकन थे जज्बे उनके,
लेकिन उनके लिए तश्हीर का सामान नहीं,
क्योंकि ये लोग भी अपनी तरह मुफलिस थे।
-साहिर लुधियानवी
1. सादिक – सच्चा 2. तश्हीर -
विज्ञापन 3. मुफलिस -
गरीब
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अब तक खबर न थी
मुझे उजड़े हुए घर की,
तुम आये तो घर बेसरो - सामां नजर आया।
-जोश मलीहाबादी
1.बेसरो–सामां- जिंदगी के जरूरी सामान के बगैर
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मुफलिसी और
आशिकाना मिजाज,
देने वाले ये क्या दिया तूने।
-गोपाल मित्तल
1.मुफलिसी - गरीबी, निर्धनता
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मुफलिसी में
मिजाज शाहाना,
किस मरज की दवा करे कोई।
-यगाना चंगेजी
1.शाहाना - बादशाहों जैसा
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मेरी मुफलिसी
से बचकर कहीं और जाने वाले,
ये सकूँ न मिल सकेगा तुझे रेशमी कफन में।
-कतील शिफाई
1.मुफलिसी - गरीबी, निर्धनता
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