शेर-ओ-शायरी

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यह दिलफरेब तबस्सुम, यह मस्त मस्तनजर,
तुम्हारे दम से चमन में बहार बाकी है।
-वाहिद प्रेमी

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यह बात, यह तबस्सुम, यह नाज, यह निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओं क्यों कर न तुमको चाहे।

-'जोश' मलीहाबादी
 

1.तबस्सुम - मुस्कान, मुस्कुराहट, मंदहास, स्मित
 

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यह शर्मगीं निगाह,यह तबस्सुम निकाब में,
क्या बेहिजबियाँ है, तुम्हारे हिजाब में।

-जकी


1.शर्मगीं - शर्म से झुकी हुई 2.तबस्सुम - मुस्कान, मुस्कराहट, स्मित, मंदहास 3.निकाब - (i) घूँघट, मुखावरण, मुखपट (ii) ओट, आड़
4.बेहिजबियाँ - घूँघट हटा देना 5. हिजाब - आड़, पर्दा, ओट

 

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याद आती है जब तेरे तबस्सुम की हमें,
दिल में देर तक चरागों का समाँ रहता है।
-नरेश कुमार 'शाद'


1.तबस्सुम - मुस्कान, मुस्कुराहट, स्मित मंदहास

2. समाँ - मंजर, नजारा, दृश्य
 

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