शेर-ओ-शायरी

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परीशाँ होने वालों को सकूँ कुछ मिल भी सकता है
परीशाँ करने वालों की परेशानी नहीं जाती।

 

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पीछे-पीछे हसरतों का सिलसिला
आगे - आगे है परीशानी मेरी।

-दिल शाहजहांपुरी


1.हसरत - (i) निराशा, नाउम्मेदी (ii) अभिलाषा, लालसा, इच्छा
 

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बहार आई चमन में और तू इतनी परीशां है,
बता बुलबुल! तुझे क्या दर्द है तू जिससे नाला है।


1.नाला - अधिक, जियादा

 

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