शेर-ओ-शायरी

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अच्छा है डूब जाये सफीना हयात का,
उम्मीदो-आरजूओं का साहिल नहीं रहा।
-'असर' लखनवी


1.सफीना- नाव, नौका, किश्ती 2.हयात - जिन्दगी

2.साहिल- किनारा, तट

 

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अपना गम किस तरह से बयान करूँ,
आग लग जायेगी इस जमाने में।
-फिराक गोरखपुरी

 

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अपने ही दिल के आग में शम्अ पिघल गई,
शम्ए-हयात मौत के सांचे मे ढल गई।
-'असर' लखनवी

1.शम्ए-हयात- जिन्दगी की शम्अ

 

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अब जी रहा हूँ गर्दिशे-दौरां के साथ-साथ,
यह नागवार फर्ज अदा कर रहा हूँ मैं।
-शौरिश काश्मीरी

1.गर्दिशे-दौरां समय का चक्कर, काल-चक्र, समय का उलट-फेर।
2.नागवार - जो पसन्द न हो, जो अच्छा न लगे
3.खल्वत  एकान्त, तन्हाई, जहाँ कोई दूसरा न हो।

 

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