जिन्दगी और ये तमन्नाएं,
जल रहा है चराग पानी में।
-अरशद काकवी
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जिन्दगी क्या किसी मुफलिस की कबा है,
जिसमें हर घड़ी दर्द के पैबन्द लगे जाते हैं।
-फैज अहमद फैज
1.मुफलिस-दरिद्र, निर्धन, कंगाल, धनहीन
2. कबा-दोहरा लंबा अँगरखा, चोगा, गाउन
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जिन्दगी अपनी जब इस शक्ल से गुजरी 'गालिब',
हम भी क्या याद करेंगे कि खुदा रखते थे।
-मिर्जा 'गालिब'
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जिन्दगी आ तुझे कातिल के हवाले कर
दूँ,
मुझसे अब खूने-तमन्ना देखा नहीं जाता।
-शकील बदायुनी
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