बेखुदी की शराब पीता हूँ,
गफलतों के सहारे जीता हूँ।
-'अख्तर' अंसारी
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बेचैनियों का 'फौक' शिकायत फिजूल है,
किसको सकूँ मिला है जहाने-खराब में।
-'फौक' जाती
1.जहाने-खराब- बीहड़ दुनिया, निर्जन या वीरान संसार
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भड़क उठी है इस तरह कुछ आतिशे-हस्ती,
करार साया-ए-दामने-यार में भी नहीं।
-सैफ
1.आतिश-अग्नि, आग
भला जब्त की भी कोई इन्तिहा है,
कहाँ तक तबिअत को अपनी संभालें।
-'अजीज' लखनवी
1.जब्त-सहनशीलता, बर्दाश्त
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