संदल का मैं दरख्त नहीं था तो किस लिए,
जितने थे गम के नाग, मुझी से लिपट गये।
1.संदल - चंदन
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सब तमन्नाएं हमारी मर चुकीं,
एक मरने की तमन्ना रह गई है।
-जोश मल्सियानी
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सब मरहले हयात
के तय करके अब 'फिराक',
बैठा हुआ हूँ मौत में ताखीर देख कर।
-'फिराक' गोरखपुरी
1.मरहला -गंतव्य, उतरने का स्थान, मंजिल 2. हयात -जिन्दगी, जिन्दगानी
3. ताखीर
-विलंब, देर
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सबब हर एक मुझसे
पूछता है मेरे रोने का,
इलाही सारी दुनिया को मैं कैसे राजदाँ कर लूँ।
1.सबब -कारण, वजह
2. इलाही
- हे खुदा
3.राजदाँ -भेद जानने वाला, बहुत घनिष्ठ मित्र
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