अल्लारे उनके
फूलों-से गालों की ताजगी,
धूप आइने की देखकर कुम्हलाये जाती है।
-हफीज जौनपुरी
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आ गया है कौन पसे-पर्दा,
नूर से झिलमिलाती है चिलमन।
1. पसे-पर्दा -
पर्दे के पीछे
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आया है जिक्र अगर दारो - रसन का,
गैसू-व-कदे-यार की बात आ ही गई है।
जब सूर्खिए-गुलशन का कभी जिक्र हुआ है
तेरे लबो-रूखसार की बात आ ही गई है
ढूँढ़ा है अगर जख्मे - तमन्ना न मुदावा
इक नर्गिसे-बीमार की बात आ ही गई है
छेड़ा है कोई तल्ख फसाना हो किसी ने
शीरीनिए-गुफ्तार की बात आही गई है।
-मज्हर इमाम
1.दारो–रसन - फांसी का फंदा
2.गैसू-व-कदे-यार -
माशूक का डील-डौल और बाल
3.सूर्खिए-गुलशन - गुलशन की लालिमा या
लाली (यानी खूबशूरती)
4. लबो-रूखसार -
ओष्ठ और गाल
5.जख्मे–तमन्ना - तमन्ना पूरा न होने
का जख्म 6.मुदावा - इलाज, दवा
7.नर्गिसे-बीमार - चश्मे-बीमार, अधखुली
आँख विशेषतः प्रेमिका की आँख के लिए बोलते हैं 8.तल्ख -
कड़वा, कटु, अरूचिकर
9.शीरीनिए-गुफ्तार - बात-चीत की मिठास
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इधर गैसू, उधर
रू-ए-मुनव्वर है तसव्वर में,
कहाँ ये शाम आयेगी, कहाँ ऐसी सहर होगी।
1.गैसू -
बाल, जुल्फ 2. रू-ए-मुनव्वर -
रौशन चेहरा या मुखड़ा
3.सहर - सुबह, प्रातःकाल, प्रभात, भोर
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