फिजाएं रास न आयेंगी उसको साहिल की,
जिसने गोद में तूफाँ की परिवरिश पाई है।
-'नज्म' मुजफ्फरनगरी
1.साहिल - किनारा
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भंवर से लड़ो तुन्द लहरों से उलझो,
कहाँ तक चलोगे किनारे -किनारे।
-'रजा' हमदानी
1. तुन्द
- तेज, भीषण, भयानक
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भरोसा है खुदी
पर, नाखुदा की इल्तिजा कैसी,
मेरी कश्ती ही साहिल है, मेरी कश्ती में साहिल है।
-दाग
1.खुदी - स्वयं 2. नाखुदा -
मल्लाह, नाविक, कर्णधार
3. इल्तिजा - प्रार्थना, दरखास्त 4. साहिल - किनारा, तट
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मझदार में जब कश्ती पहूँची, कश्ती वालों पै क्या गुजरी,
यह तूफानों की बातें हैं, आसूदा-ए-साहिल क्या जाने।
-जगन्नाथ आजाद
1.आसूदा-ए-साहिल - किनारे पर रहकर
संतोष करने वाले
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